Wednesday, January 16, 2008

ये कैसी सजा


कानुन हमेशा दावा करता है कि क़ानुन के नज़र में सज़ा के नियम सभी के लिए बराबर होते है। वहां अमीरी ग़रीबी नहीं देखी जाती,कोई सख़्शियत हो या आम आदमी यह नही देखा जाता। कुछ अरसा पहले क़ानुन के इसी पैमाने पर सलमान खान और संजय दत्त को उनके अपराधों की सजा सुनाइ गइ। ईन्हें चार और छ. साल की सज़ा सुनाई गई ।पर देखा जा रहा है कि किसी तरह इन शख्शीयतों ने अपनी जमानत का जुगाड कर ही लिया। सवाल है कि अगर किसी आम आदमी से ग़लती से अपराध हो जाता तो क्या वह जेल की सलाखों के बाहर रह सकता था। सलमान ,संजय के मामले से तो लगता है कि हर स्तर पर पैसा और रसूखदारों की ही चलती है।अगर यह बात ग़लत है तो संजय दत्त और सलमान खान को इस वक्त जेल में होना चाहिए था।

1 comment:

Ashutosh Kumar Choudhary said...

आशु मैं आपके विचार से सहमत हुं। आज कानुन भी रसुखदारों की ही सुनता है इसमें भी हम जैसे आम लोगों की ग़लती है। आम लोगों ने ही संजय और सलमान के मामले में हस्तक्षेप कर उन्हे जमानत दिलवाने में अहम भूमिका निभाइ है। तो क़सूर सिर्फ कानुन का नही बलकि हमारा भी है।
निक्हत परवीन